ओम णमो निणाणं
भारत की वसुंधरा पर श्रमण परंपरा का निर्वाह करनेवाले
आचार्य श्री. आदिसागरजी (अंकलीकर) महाराज एवं उनके शिष्य बहुभाषा भाषी आचार्य श्री महावीरकीर्ति महराज हुये। तत्पश्चात् तपस्या के शिरोमणी तपस्वी सम्राट सन्मतिसागरजी महाराज हुए । उनके शिष्य वर्तमान के वर्धमान, चर्या चक्रवर्ती चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज जिनधर्म की महती प्रभावना कर रहे है।
श्रवको देव- शास्त्र- गुरु के प्रति आस्था एवं समर्पण को ध्यान में रखते हुये सन्मति सुनीलम् Application का निर्माण किया गया है। यह App आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज से संबंधित है।
App के उद्देश्य :--
1 दुनियाँ में जैन धर्म का प्रचार प्रसार करना ।
2.संघ की संबंधित जानकारी लोगो तक पहुँचाना।
3.सभी लोगों के रूचि अनुसार नये सुविचार, दैनिक नियम, धर्मोपदेश का live प्रसारण Jain Recipe आदि के माध्यम से धर्म से जो जोड़े|
4. बाल वर्ग के लिए विशेष kids zone में जैन धर्म की कहानियाँ प्रतियोगिता व Puzzle उपलब्ध कराना।
5. प्रतिदिन प्रतियोगिता के माध्यम शास्त्र स्वाध्याय कराना।